Wednesday, January 22, 2020

INDIAN CITIZENSHIP

नागरिकता के बिना भारतीय राष्ट्र की कल्पना करना भी मुश्किल है यही कारण है कि एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए नागरिकता को परिभाषित करना अति आवशयक है.
संविधान के भाग २  में Article 5 से 11 तक नागरिकता के बारे में चर्चा की गयी है।  इस सम्बन्ध में कोई विस्तृत उपबंध नहीं है, यह सिर्फ उन लोगो की पहचान करता है जो  संविधान लागू होने के समय भारत के नागरिक बने।  यह संसद को इस बात का अधिकार देता है कि वह नागरिकता से सम्बंधित मामलों के लिए  कानून बनाए।
इसलिए संसद ने नागरिकता अधिनियम 1955 को लागू किया जिसमे समय-समय पर संशोधन भी किया गया।

नागरिकता अधिनियम, 1955

नागरिकता अधिनियम ,1955 संविधान लागू होने के बाद अर्जन एवं समाप्ति के बारे में उपबंध करता है। इस अधिनियम को अब तक आठ बार संशोधित किया गया है 

नागरिकता का अर्जन 



नागरिकता अधिनियम, 1955 भारत की नागरिकता प्राप्त करने की पांच शर्ते बताता है-

1. जन्म से 

यदि उसका जन्म भारत में हुआ हो या उसके माता पिता में से किसी एक का जन्म भारत में हुआ हो तो उसे जन्म के आधार पर भारत का नागरिक मन जायगा।  

2. वंश के आधार पर 

यदि कोई व्यक्ति जिसका जन्म 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद परन्तु 10 दिसंबर, 1992 से पूर्व भारत के बाहर  हुआ हो तो वह वंश के आधार पर भारत का नागरिक बन सकता है, यदि उसके जन्म के समय उसका पिता भारत का नागरिक हो। 
यदि 10 दिसंबर, 1992 को या उसके बाद यदि किसी व्यक्ति का जन्म देश से बाहर हुआ हो तो वह तभी देश का नागरिक बन सकता है जब उसके माता पिता में से कोई एक देश का नागरिक हो। 
3 दिसंबर 2004 के बाद भारत से बाहर जन्मा कोई भी व्यक्ति जन्म के आधार पर भारत का नागरिक नहीं हो सकता, यदि उसके जन्म के एक वर्ष के अंदर भारतीय कांसुलेट में उसके जन्म का पंजीकरण न करा दिया हो। 

3. पंजीकरण द्वारा 

INDIAN CITIZENSHIP

नागरिकता के बिना भारतीय राष्ट्र की कल्पना करना भी मुश्किल है यही कारण है कि एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए नागरिकता को परिभाषित करना अति आवश...